Sunday, May 27, 2012

वो पुराना घर......

वो पुराना घर आज भी डरावना लगता है,
जैसे अतीत के हादसों को अब भी छुपाये बैठा है.

दीवारों के रंग, उसकी छाया और भी धुंदली पड़ गयी हैं,
फिर भी कीवाड़ों की ओर नज़रें गड़ाए बैठा है.

आँगन की मट्टी से पैरों के निशाँ गायब हो गए,
फूल पत्ते भी सारे मुरझा के सो गए.

कोई नहीं है अब जो उसके अन्दर झांके, 
वो पुराना घर शायद अब भी किसी के आने की आस लगाये बैठा है...


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