Thursday, July 19, 2012

ज़िन्दगी भी अब जिद पर आ गयी है......

ज़िन्दगी भी अब जिद पर आ गयी है,
कहती है आखिरी सांस तक लडूंगी.
अरमान बहुत है इस दिल मैं,
सारे अरमानो को पूरा करुँगी.
पंख काट देने से पंछी उड़ना नहीं भूल जाते,
जज्बे के दम पर आसमान छु कर रहूंगी.
मेरे हौसलों पर शक करने वाले अंत,
तुझे भी मै जीने का मतलब सिखा के रहूंगी.



Thursday, July 5, 2012

तुम खुद जगना भूल गए......

नन्ही उंगलियाँ पकड़ के मुझे चलना सिखाया,
और खुद उड़ना भूल गए.
तुतली जबान को मेरी तुमने अक्षर दिए,
और खुद बोलना भूल गए.
घोंसले को तुमने तिनके से ढका,
और आसरा लेना भूल गए,
मुझे ख्वाबों के जंजाल में फंसा कर,
तुम खुद जगना भूल गए......

वो तुलसी का पौधा.....

घर के बरामदे में उग गया ख़ामख़ा, वो तुलसी का पौधा पत्थरों की कठोर दरारों से झाँकता, वो तुलसी का पौधा मदमस्त वो ज़िन्दगी से भरा, खुद क...