Thursday, September 27, 2012

अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही. ....

रेत पर निशाँ पड़े थे हमारे,
मेरे निशाँ कुछ नहीं, तो ना सही.
लहरों पर आंसूं बहे थे हमारे,
मेरे आंसू कुछ नहीं, तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही.....

पत्तों के पीछे चेहरे छुपे थे हमारे,
मेरा चेहरा कुछ नहीं, तो ना सही.
साथ चल के रस्ते बनाये थे,
मेरा साथ कुछ नहीं, तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही.....

आहटें सुनी थी हमने साथ मे,
मेरी आवाज़ कुछ नहीं, तो ना सही.
इंतज़ार किया था साथ में,
मेरा इंतज़ार कुछ नहीं तो ना सही.
ज़रूरत थी कभी एक दुसरे की हमको,
अब मेरी ज़रूरत नहीं, तो ना सही......

Friday, September 21, 2012

वो कश्ती बहुत हिलती है.......


वो कश्ती बहुत हिलती है, 
जैसे उसमें सब बिखरा बिखरा सा है.
रह रह कर याद आता है मुझको,

शायद वो नाम सुना सुना सा है.
अंगारे तो मेरे पैरों मे बंधे हैं,
दिल की जलन की वजह क्या है.
ख्वाहिशों से घिरी गर हो ज़िन्दगी,
तो उस जीने का मतलब क्या है....


मैं और तुम........

शाम की तरह जैसे आ गए हो तुम,
मुस्कुरा रहे हो खिलती चांदनी से तुम.
दस्तकें जो दी तुमने दिल के द्वार पे,
झुक गया ये आसमान भी इतने प्यार से.
चली गयी है लहरें भी थक हार के,
और रह गए हो मेरे पास बस एक तुम.

सोचती हूँ ऐसा क्या हुआ है मुझे,
लिख रही हूँ क्यों, क्यों है शब्द बंधे हुए.
ढूंढ लूँ सारे मोती जो है कहीं छुपे हुए,
चुरा लूँ सारे पल जो हैं तुमसे जुड़े हुए.
शोर मे भी आज है ख़ामोशी सिली हुई,
और खो गए है एक दुसरे मे मैं और तुम......... 

Wednesday, September 12, 2012

मेरा दिल भी द्रौपदी हो गया........

वो हर शाम, हर रोज़ आया,
उसका आना जाना अफसाना हो गया.
रोज़ रोज़ थक के सो जाना,
मेरा इंतज़ार पुराना हो गया.
मायूसियों से घिरे पल काट काट के,
मेरा दिल भी द्रौपदी हो गया.

ना वक़्त आया, ना वक़्त बदला,
ना वो कभी रूप बदल के आया.
अंतहीन गहराइयों मैं भी न कभी पड़ा उसका साया,
कशमकश से उलझती  साँसों से,
मेरा मन धुआं हो गया.
मायूसियों से घिरे पल काट काट के,
मेरा दिल भी द्रौपदी हो गया.....


वो तुलसी का पौधा.....

घर के बरामदे में उग गया ख़ामख़ा, वो तुलसी का पौधा पत्थरों की कठोर दरारों से झाँकता, वो तुलसी का पौधा मदमस्त वो ज़िन्दगी से भरा, खुद क...